27 Nov 2017

“सइयाँ सुपरस्टार” 1st दिसम्बर से

Saiyan Super Star

राजधानी पटना से खबर आ रही है कि “सइयाँ सुपरस्टार” बेहद गर्म है. गर्म है मतलब सिनेमाघर मालिकों में आपाधापी है फिल्म रिलीज करने को लेकर. दुर्गापूजा के अवसर पर अनाउंस होने के बाद भी फिल्म रिलीज नहीं हो पाई, तो इंडस्ट्री में यह बात फैलते देर नहीं लगी कि फिल्म निबट गई. लेकिन कहावत है न कि जो होता है, अच्छे के लिए होता है, तब कई फिल्में रिलीज पर थी. तीन तीन बड़ी फिल्में आपस में एक ही तारीख पर भिड़ गईं, नतीजा हुआ, सबकी बत्ती गुल हो गई. प्रोसड्यूसर्स के साथ साथ डिस्ट्रीब्यूटर्स को भी अच्छा खासा नुकसान हुआ. स्टारों की भी रोशनी फीकी हुई. लेकिन आज सइयाँ सुपरस्टार के सामने, आगे और पीछे चुनौती देने के लिए कोई फिल्म नहीं है. भोजपुरी फिल्म बाजार में एकमात्र फिल्म है “सइयाँ सुपरस्टार”.
“सइयाँ सुपरस्टार” की चर्चा स्क्रिप्ट को लेकर भी हो रही है. लोग कह रहे हैं कि पहली बार भोजपुरी गांव-समाज की मौजूदा सच्चाइयों को लेकर कहानी बनाई गई है. फिल्म में वास्तविक गांव है और गांव का असली समाज है. हीरो सिर्फ नाचने गाने और नकली ड्रामे पर गला फाड़ने के लिए फिल्म में नहीं है, बल्कि समाज की समस्याओं को संबोधित करने के लिए आया है. उसके पास गांव को बेहतर बनाने का मिशन है. वह गाँव, पंचायत और ब्लॉक में पसरे भ्रष्टाचार और गुंडई के खिलाफ गांव के लोगों को जागरूक बनाता है और साथ मिलकर लड़ता है. और सिर्फ फिल्म का नायक नहीं, बल्कि पूरे गाँव समाज का नायक बनता है.
स्क्रिप्ट की तारीफ होनी ही थी, क्योंकि मैंने निर्देशक अजय कुमार को लिखने से पहले ही बता दिया था कि तभी लिखूंगा जब मुझे कुछ कहने का अवसर देंगे आप. फॉर्मूला फिल्म बनानी है तो किसी और राइटर को लीजिये. अजय कुमार ने मुझे आश्वस्त किया था कि आपके टाइप की सब्जेक्ट ओरियंटेड (विषय प्रधान) फिल्म बनानी है. इसलिए जो कहानी आपको पसन्द हो वही दीजिये. स्क्रिप्ट स्तर पर आपको डिस्टर्ब नहीं करूँगा. अजय कुमार ने अपना वादा निभाया. मुझे खुशी है मैंने वैसी स्क्रिप्ट लिखी, जैसी चाही थी. मेरे मित्र लेखक जीतेन्द्र सुमन को मैंने स्क्रिप्ट फाइनल करते वक्त सुनाई थी. मैं भोजपुरी भाषी नहीं हूँ, इसलिए संवाद की व्याकरण संबन्धी गलती को ठीक करने की जिम्मेदारी उन्हें ही दी थी. जीतेन्द्र सुमन को यह स्क्रिप्ट बेहद पसन्द आयी थी, उन्होंने कहा भी था कि अजय किस्मत का सांढ है, काश उनको ऐसी स्क्रिप्ट मिली होती.
बहरहाल उम्मीद है आम और रेगुलर दर्शकों को तो फिल्म पसन्द आयेगी ही, जो लोग अश्लीलता और वल्गरिटी के डर से भोजपुरी फिल्म देखना पसन्द नहीं करते हैं, उन्हें भी यह फिल्म आकर्षित करेगी. साथ ही, निश्चित तौर पर यह फिल्म भोजपुरी फिल्मों को लेकर लोगों के मानस पर बनी छवि को तोड़ने में भी सक्षम होगी. उम्मीद करते हैं, यहाँ से भोजपुरी सिनेमा में एक नया दौर शुरू हो जाय. बेहतर स्क्रिप्ट का दौर ! बेहतर लेखकों से स्क्रिप्ट लिखवाने का दौर ! राइटर्स के महत्व को समझने का दौर !
ओरिजिनल पोस्ट धनंजय कुमार
Previous Post
Next Post

post written by:

0 comments: